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किसानों का रुझान पारंपरिक खेती की बजाय बागवानी की ओर तेजी से बढ़ रहा है, विशेष रूप से अमरूद और आम की बागवानी में। लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (ICAR-CISH) के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला के अनुसार, अमरूद की विभिन्न किस्में किसानों को बेहतर आय का आश्वासन देती हैं। आम के बागों में अमरूद की बागवानी से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
शुक्ला के अनुसार, आम के पौधों के बीच 10 मीटर की दूरी और अमरूद के पौधों के बीच 55 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। इससे अमरूद के पौधों की संख्या बढ़ेगी और बागवानों को लंबी अवधि तक आय प्राप्त होगी।
CISH द्वारा विकसित अमरूद की प्रमुख किस्में हैं:
अमरूद की बागवानी किसी भी प्रकार की भूमि पर की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। 20 वर्षों बाद फलत कम होती है, लेकिन कैनोपी प्रबंधन से बागवानी का कायाकल्प संभव है। अमरूद में विटामिन C, खनिज, और रेशा भरपूर मात्रा में होते हैं, जिसे ‘अमृत फल’ कहा जाता है।
लखनऊ क्षेत्र में आम की बागवानी 30 हजार हेक्टेयर में होती है, जिसमें मलिहाबादी दशहरी आम की देश-विदेश में उच्च मांग है। इस प्रकार की बागवानी किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है।